कुछ मंज़र ओझल ओझल से
कुछ सांसे बोझल बोझल सी
एक टीस उठा कर जाती हैं
कुछ यादें कोमल कोमल सी
एक आह सुलगती है दिल में
एक चाह सिसकती है दिल में
एक शाख़ जो मुझसे टूट गयी
वो शाख़ लचकती है दिल में
कई लोग मिले कई बिसर गए
कई वक़्त के हाथों बिखर गए
कई धुँधले धुंधले बाक़ी हैं
कई नज़र चुरा कर गुज़र गए
कभी तन्हाई के पहलु में
उन लोगों में खो जाता हूँ
वो लोग जो मुझमें बाक़ी हैं
क्या याद उन्हें मैं आता हुँ ?